ट्रंप का सऊदी दांव: हंसी-मजाक के साथ अरबों की डील और एक नया मिडिल ईस्ट विज़न!
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गंभीर कूटनीति के बीच हल्के-फुल्के लहजे में बात
13 मई 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की पहली विदेश यात्रा की शुरुआत सऊदी अरब की राजधानी रियाद से की। यहां उन्होंने सऊदी-अमेरिका इन्वेस्टमेंट फोरम को संबोधित किया, जहां टेस्ला के एलन मस्क और एनविडिया के जेंसन हुआंग जैसे दिग्गज कारोबारी भी मौजूद थे।
भाषण की शुरुआत में ही ट्रंप ने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) से मजाकिया अंदाज़ में पूछा – “मोहम्मद, तुम रात को सोते कैसे हो?” कुछ पल को माहौल ठहर गया, फिर ट्रंप ने तुरंत कहा, “वो भी हमारी तरह करवटें बदलते होंगे, सोचते होंगे कि कैसे चीजें बेहतर बनाऊं। जो लोग करवटें नहीं बदलते, वो कभी महान नहीं बनाते।” MBS ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया – “कोशिश करता हूं,” और पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा।
ट्रंप और MBS की निजी केमिस्ट्री
इस दौरे की खास बात थी ट्रंप और क्राउन प्रिंस के बीच की गहरी व्यक्तिगत समझ। ट्रंप ने मंच से MBS की तारीफ करते हुए उन्हें “उनकी उम्र से कहीं ज्यादा समझदार” बताया और मजाकिया लहजे में कहा, “ओह, मैं इस क्राउन प्रिंस के लिए क्या-क्या नहीं करता।” यह टिप्पणी उस वक्त आई जब ट्रंप ने सीरिया पर लगे अमेरिकी प्रतिबंध हटाने की घोषणा की — MBS और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के अनुरोध पर।
आर्थिक सौदों की बरसात
ट्रंप की यह यात्रा कारोबारी समझौतों से भरपूर रही। सऊदी अरब ने अमेरिका में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऊर्जा, खनन और आधारभूत संरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर) में 600 अरब डॉलर निवेश का वादा किया, जो भविष्य में 1 ट्रिलियन डॉलर तक जा सकता है। इसमें से 142 अरब डॉलर की रक्षा डील को अमेरिका के इतिहास की सबसे बड़ी डिफेंस डील बताया गया, जिसके तहत C-130 विमान, आधुनिक मिसाइलें और रडार सिस्टम सऊदी अरब को मिलेंगे।
पुराने प्रशासन की तुलना में नया रुख
यह दौरा पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन की नीति से बिल्कुल अलग दिखा। बाइडन प्रशासन ने खशोगी की हत्या के बाद सऊदी को “अंतरराष्ट्रीय उपेक्षा” (pariah) घोषित किया था, लेकिन बाद में तेल कीमतों के कारण रुख बदलना पड़ा। वहीं ट्रंप ने MBS की खुले दिल से तारीफ की और उनके कहने पर सीरिया जैसे देश को भी राहत देने का ऐलान कर दिया।
सऊदी अरब और विश्व के लिए क्या मायने?
ट्रंप की इस यात्रा से सऊदी को न सिर्फ आर्थिक मदद और सैन्य सहयोग मिला, बल्कि “विजन 2030” के लिए अमेरिका जैसा ताकतवर साथी भी मिला। यह सौदे सऊदी को ईरान के खिलाफ मजबूत बनाते हैं और उसकी वैश्विक स्थिति को नया स्तर देते हैं। अमेरिका के लिए यह निवेश 20 लाख नौकरियों का वादा करता है और वैश्विक मंच पर अमेरिकी प्रभाव को फिर से स्थापित करने की कोशिश है।
चीन, यूरोप और एशिया को क्या संदेश?
चीन के लिए – सऊदी में अमेरिकी निवेश और भागीदारी, चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना को टक्कर देने की कोशिश है।
यूरोप के लिए – मिडिल ईस्ट पर ट्रंप का ध्यान पुराने यूरोपीय सहयोगियों के साथ अमेरिका के रिश्तों को प्रभावित कर सकता है, खासकर NATO के संदर्भ में।
एशिया के लिए – अमेरिका और सऊदी अरब की नई साझेदारी, चीन के प्रभाव को संतुलित करने का प्रयास हो सकती है और एशियाई देशों को नए विकल्प मिल सकते हैं।
जोखिम और आलोचनाएं
मानवाधिकार संगठनों और कई अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप की इस नीति की आलोचना की है। इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के स्टीफन पॉम्पर जैसे विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का मानवाधिकारों पर चुप रहना, अधिनायकवाद (autocracy) को बढ़ावा दे सकता है। अहमद अल-शरा जैसे विवादास्पद नेताओं से सहयोग, भविष्य में अस्थिरता को जन्म दे सकता है।
नया मिडिल ईस्ट प्लेबुक
ट्रंप ने कहा कि अब मध्य पूर्व को “व्यापार, न कि संघर्ष” का केंद्र बनना चाहिए। उन्होंने ईरान को क्षेत्र का सबसे बड़ा खतरा बताया और कहा कि अगर उसने सहयोग नहीं किया, तो उसके तेल निर्यात को रोका जाएगा। भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम, अब्राहम समझौते में सऊदी की संभावित एंट्री, यमन में अमेरिकी हमले रोकना और गाजा में शांति की अपील — ये सब उनके नए विजन का हिस्सा हैं।
प्रमुख घोषणाएं – एक नज़र में
घोषणा | विवरण | असर |
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$600 अरब का निवेश | AI, ऊर्जा, रक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर, जिसमें $142 अरब की रक्षा डील शामिल | अमेरिका में 20 लाख नौकरियों का दावा, आर्थिक रिश्ते मजबूत |
सीरिया पर प्रतिबंध हटाना | MBS और एर्दोगन के कहने पर, नए राष्ट्रपति अल-शरा को समर्थन | सीरिया को राहत, लेकिन चरमपंथी संबंधों पर विवाद |
ईरान के साथ परमाणु बातचीत | अगर सहयोग नहीं किया तो सैन्य दबाव | डिप्लोमेसी और बल का संतुलन |
रूस-यूक्रेन शांति वार्ता | इस्तांबुल में मारको रुबियो की अगुवाई में कोशिश | समाधान की उम्मीद, पर सफलता अनिश्चित |
अब्राहम समझौते का विस्तार | सऊदी को शामिल करने की उम्मीद | इज़राइल-अरब देशों के रिश्तों में नई दिशा |
यमन में हूती हमलों पर रोक | मार्च 2025 तक 1,100 हमलों के बाद निर्णय | क्षेत्र में तनाव कम करने की कोशिश |
अमेरिका से क्या चाहते हैं सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और क़तर?
सऊदी अरब: सुरक्षा, परमाणु सहयोग और तेल का संतुलन
सऊदी अरब लंबे समय से अमेरिका के साथ एक व्यापक सुरक्षा और व्यापार समझौते की दिशा में काम कर रहा है। हालाँकि, यह वार्ता इसलिए अटक गई क्योंकि सऊदी अरब चाहता था कि इस्राइल फिलीस्तीन को राज्य का दर्जा देने की दिशा में ठोस प्रतिबद्धता दिखाए।
इसके अलावा, रियाद अमेरिका से असैन्य परमाणु कार्यक्रम के लिए सहयोग चाहता है — लेकिन इसकी एक शर्त यह है कि उसे घरेलू स्तर पर यूरेनियम समृद्ध करने की अनुमति दी जाए, जो अमेरिका और इस्राइल के लिए संभावित परमाणु हथियार निर्माण को लेकर चिंता का विषय है।
यदि अमेरिका इस मांग को स्वीकार करता है, तो इससे अमेरिकी कंपनियों को अरबों डॉलर के ठेके मिल सकते हैं। हालांकि, सऊदी अरब को तेल पर निर्भरता कम करने के लिए तेल बेचना भी जरूरी है — वहीं ट्रंप चाहते हैं कि तेल की कीमतें कम रहें, जिससे दोनों देशों के हित टकरा सकते हैं।
अपने पहले कार्यकाल (2017–2021) में ट्रंप ने सऊदी अरब के साथ घनिष्ठ रिश्ते बनाए थे। उन्होंने रियाद में अपने पहले विदेशी दौरे के दौरान $110 अरब का रक्षा सौदा और $350 अरब का बड़ा आर्थिक पैकेज हासिल किया था।
ट्रंप ने मानवाधिकारों की बजाय व्यापार और सुरक्षा को प्राथमिकता दी, यहां तक कि पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बावजूद संबंध मजबूत बनाए रखे।
संयुक्त अरब अमीरात (UAE): तकनीकी साझेदारी और निवेश के जरिए निकटता
UAE की अमेरिका से रणनीति मुख्य रूप से निवेश पर आधारित है। मार्च में उसने अगले 10 वर्षों में $1.4 ट्रिलियन का निवेश योजना पेश की, जिसका फोकस AI, सेमीकंडक्टर्स, मैन्युफैक्चरिंग और ऊर्जा क्षेत्रों पर है।
UAE के राष्ट्रपति के सलाहकार अनवर गर्गाश ने कहा, “हमें AI और उन्नत तकनीक में बड़ी भूमिका निभाने का जीवन में एक बार मिलने वाला मौका मिला है।” लेकिन यह तभी संभव होगा जब उसे अमेरिकी चिप्स और तकनीकी मदद मिले।
ट्रंप के पहले कार्यकाल में अमेरिका-UAE संबंध काफी मजबूत हुए। अबू धाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायेद के साथ मिलकर ट्रंप ने ईरान के प्रभाव को कम करने, आतंकवाद से लड़ने और सैन्य साझेदारी को मजबूत करने पर काम किया।
अब्राहम समझौता, जिसने UAE और इस्राइल के बीच औपचारिक रिश्ते स्थापित किए, ट्रंप की एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि रही।
क़तर: रणनीतिक सैन्य ठिकाना और मध्यस्थ की भूमिका
क़तर अमेरिका का एक अहम रणनीतिक साझेदार है क्योंकि वहां अल उदीद एयरबेस स्थित है — जो मध्य-पूर्व में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य ठिकाना है।
इसके साथ ही, क़तर गाज़ा से लेकर अफग़ानिस्तान तक कई संघर्षों में मध्यस्थ की भूमिका निभाता रहा है — ताकि वह वॉशिंगटन की नजरों में प्रासंगिक बना रहे।
हालांकि ट्रंप के पहले कार्यकाल में क़तर के साथ रिश्ते जटिल रहे। 2017 की खाड़ी कूटनीतिक संकट के समय ट्रंप ने शुरुआत में सऊदी अरब का पक्ष लिया और क़तर पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाया।
लेकिन अमेरिका की सैन्य मौजूदगी और रक्षा विभाग की संतुलित नीति ने रिश्तों को बिगड़ने नहीं दिया। समय के साथ ट्रंप ने समझौता करते हुए क़तर को आतंकवाद विरोधी प्रयासों के लिए सराहा और 2021 तक रिश्तों में काफी हद तक सुधार हो गया।