“छात्र कभी-कभी तनाव के कारण आत्महत्या कर लेते हैं… हम चाहते हैं कि वे पढ़ाई और प्रतिस्पर्धा करें, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना न करें,” मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा।
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The Rajasthan Coaching Centres (Control and Regulation) Bill-2025
राजस्थान मंत्रिमंडल ने शनिवार को राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण और विनियमन विधेयक को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य कोचिंग केंद्रों को नियंत्रित करना है। साथ ही, युवाओं के लिए कौशल विकास और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान कौशल नीति 2025 को भी स्वीकृति दी गई।
कोटा न्यूज: एसोसिएशन के अनुसार, पिछले साल कोटा के 3,000 हॉस्टलों में से 60% खाली रहे। यदि सरकार ने अपने नियमों में ढील नहीं दी, तो यह संख्या और बढ़ सकती है। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि विधेयक में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया जाएगा।
राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक-2025: कोचिंग उद्योग पर मंडराया संकट!
राजस्थान सरकार इस सप्ताह विधानसभा में राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक, 2025 पेश करने जा रही है। हालांकि, इस विधेयक के लागू होने से पहले ही कोचिंग उद्योग में हलचल मच गई है। खासकर कोटा, जयपुर और सीकर के कोचिंग संचालक इस विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर असंतोष जता रहे हैं।
मुख्य रूप से 16 साल से कम उम्र के छात्रों के प्रवेश पर प्रतिबंध और अनिवार्य एप्टीट्यूड टेस्ट जैसे नियमों को लेकर कोचिंग संचालकों में चिंता बढ़ गई है। उनका मानना है कि इससे नामांकन में भारी गिरावट आएगी, जिससे कोचिंग संस्थानों, हॉस्टलों और स्थानीय व्यापार को बड़ा नुकसान हो सकता है।
16 साल से कम उम्र के छात्रों के प्रवेश पर प्रतिबंध
राज्य सरकार ने 8 मार्च 2025 को इस विधेयक को मंजूरी दी थी और इसे छात्रों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम बताया था। हालांकि, कोचिंग संचालकों का मानना है कि यह प्रतिबंध उनके व्यापार को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
क्या है मुख्य समस्या?
- केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार, 16 साल से कम उम्र के छात्रों के कोचिंग में प्रवेश पर रोक लगाई गई है।
- कोटा में इस नियम की वजह से छात्रों की संख्या 30% तक घट गई, जिससे लगभग 40,000 छात्रों का नुकसान हुआ।
- इसका सीधा असर कोचिंग संस्थानों, हॉस्टलों, भोजन सेवाओं और स्थानीय व्यापार पर पड़ा है।
- यदि यह प्रतिबंध जारी रहा, तो कोचिंग उद्योग को बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
पिछले वर्ष कोटा में 3,000 हॉस्टलों में से 60% हॉस्टल खाली पड़े थे। अगर यही स्थिति बनी रही, तो यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।
फीस नियंत्रण पर कोचिंग संचालकों की आपत्ति
विधेयक में कोचिंग संस्थानों की फीस को नियंत्रित करने का भी प्रावधान है, जिससे संस्थानों में असंतोष है।
कोचिंग संचालकों की चिंताएं:
- फीस नियंत्रण से वे बेहतर शिक्षकों की भर्ती, डिजिटल टूल्स में निवेश और छात्रों को अतिरिक्त सहायता देने में असमर्थ हो जाएंगे।
- यदि 16 साल से कम उम्र के छात्रों को कोचिंग से बाहर रखा जाता है, तो ओलंपियाड, NTSE, KVPY जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं का औचित्य भी खत्म हो जाएगा।
- सरकार के इस कदम से कोटा का कोचिंग व्यवसाय लगभग 70% तक प्रभावित हो सकता है।
छोटे और मझोले कोचिंग संस्थानों को सबसे ज्यादा नुकसान
विशेष रूप से छोटे और मध्यम स्तर के कोचिंग संस्थान, जो इंटीग्रेटेड मॉडल (कोचिंग + हॉस्टल + भोजन सुविधा) पर काम करते हैं, इस नए कानून से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
संभावित प्रभाव:
- यदि फीस पर सरकारी नियंत्रण लगाया जाता है, तो छोटे कोचिंग संस्थान सर्वाइवल क्राइसिस का सामना कर सकते हैं।
- हॉस्टल मालिक और कैटरिंग सेवा प्रदाता भी इस विधेयक को लेकर चिंता में हैं।
- कोटा हॉस्टल एसोसिएशन ने उच्च शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर इस विधेयक में संशोधन की मांग की है। उनका कहना है कि अगर बदलाव नहीं हुआ तो कोटा में रियल एस्टेट सेक्टर को भी बड़ा झटका लग सकता है।
सरकार के रुख में कोई नरमी नहीं!
पिछले साल कोटा के 3,000 हॉस्टलों में से 60% खाली पड़े थे। यदि सरकार अपने नियमों में ढील नहीं देती, तो यह संख्या और बढ़ सकती है। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि विधेयक में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया जाएगा।
सरकार का पक्ष:
- यह विधेयक छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
- छात्रों पर अत्यधिक पढ़ाई के दबाव और मानसिक तनाव को कम करना सरकार का मुख्य उद्देश्य है।
- सरकार का मानना है कि कोचिंग सेक्टर को सुव्यवस्थित करने के लिए यह कदम आवश्यक है।
राजस्थान कोचिंग सेंटर विधेयक-2025 कोचिंग संस्थानों और सरकार के बीच एक बड़ा मुद्दा बन गया है। जहां सरकार इसे छात्रों के हित में एक सुधारात्मक कदम मान रही है, वहीं कोचिंग संचालकों का मानना है कि इससे उनकी अर्थव्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित होगी।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकार इस विधेयक में कोई संशोधन करेगी या फिर राजस्थान का कोचिंग उद्योग भारी नुकसान झेलने के लिए मजबूर होगा।
कोटा कोचिंग गाइडलाइन: अब कम खर्चे में होगी NEET और JEE की तैयारी!
राजस्थान के कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी अब और अधिक किफायती हो जाएगी। कोटा कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी की पहल पर हॉस्टल एसोसिएशन की सहमति से एक बड़ा निर्णय लिया गया है—अब कोचिंग स्टूडेंट्स से सिक्योरिटी और कॉशन मनी नहीं ली जाएगी।
पहले हॉस्टल में एडमिशन के दौरान यह राशि जमा करवाई जाती थी और सेशन के अंत में लौटाई जाती थी। हालांकि, कई बार स्टूडेंट्स को यह पैसा वापस नहीं मिलता था, जिससे अभिभावकों और छात्रों को परेशानी होती थी। इस समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने नई गाइडलाइन जारी की है, जिससे कोटा में रहने वाले स्टूडेंट्स को बेहतरीन सुविधाएं मिल सकेंगी।
स्टूडेंट्स को अच्छे माहौल में पढ़ाई करने का मौका
कोटा कलेक्टर ने कहा कि “कोटा केयर्स” अभियान के तहत स्टूडेंट्स को बेहतर सुविधाएं और सुरक्षित माहौल देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
- कोटा में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित हो चुका है, जिससे छात्रों को अच्छी आवासीय सुविधाएं मिल सकेंगी।
- छात्रों और अभिभावकों की परेशानियों को दूर करने के लिए रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर हेल्प डेस्क स्थापित की जाएगी।
- छात्रों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए हॉस्टल्स में एंटी-हैंगिंग डिवाइस और अन्य सुरक्षा उपायों को लागू किया जाएगा।
कोटा में 4,000 से अधिक हॉस्टल्स, 1.5 लाख से अधिक स्टूडेंट्स के लिए सुविधा
कोटा में करीब 4,000 हॉस्टल्स हैं, जिनमें 1.50 लाख से अधिक स्टूडेंट्स के रहने की क्षमता है।
स्टूडेंट्स की मुख्य शिकायतें:
- हॉस्टल्स में सिक्योरिटी और कॉशन मनी को लेकर अनियमितताएं।
- सेशन खत्म होने के बाद छात्रों को पैसे वापस नहीं मिलते थे।
- मार्च से मई के बीच बैचेज के ओवरलैप होने की वजह से छात्रों से दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आती थीं।
इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने सख्त गाइडलाइन्स जारी की हैं, ताकि छात्र बिना किसी वित्तीय और मानसिक दबाव के अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
नई गाइडलाइन: स्टूडेंट्स और हॉस्टल्स के लिए सख्त नियम
जिला प्रशासन ने हॉस्टल्स और पीजी के लिए कुछ अनिवार्य नियम लागू किए हैं।
मुख्य नियम:
✅ सिक्योरिटी और कॉशन मनी नहीं ली जाएगी।
✅ मेंटिनेंस चार्ज 2,000 रुपये प्रति वर्ष होगा, जिसे वापस नहीं किया जाएगा।
✅ सीसीटीवी और बायोमेट्रिक सिस्टम अनिवार्य होगा।
✅ हॉस्टल्स को एंटी-हैंगिंग डिवाइस सर्टिफिकेट और फायर एनओसी लेना अनिवार्य होगा।
✅ रूम खाली करने से 1 महीने पहले सूचना देना अनिवार्य होगा।
✅ नाइट अटेंडेंस मैन्युअल होगी, जिसमें वार्डन छात्रों के कमरों में जाकर उपस्थिति चेक करेगा।
✅ सिक्योरिटी गार्ड को निर्धारित यूनिफॉर्म पहनना होगा।
✅ अभिभावकों को पेमेंट की रसीद देना अनिवार्य होगा।
✅ मिड-टर्म वेकेशन में भी हॉस्टल्स को छात्रों के लिए भोजन उपलब्ध कराना होगा।
✅ गर्ल्स हॉस्टल में पुरुषों के प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा और वार्डन केवल महिला ही होगी।
✅ मेडिकल इमरजेंसी के लिए हॉस्टल्स को सुविधा देनी होगी।
✅ स्टूडेंट्स के लिए हॉस्टल्स में मनोरंजन और रिक्रिएशनल एरिया विकसित किया जाएगा।
कोटा के छात्रों के लिए राहत, कोचिंग इंडस्ट्री पर असर?
इस गाइडलाइन से छात्रों और उनके अभिभावकों को बड़ी राहत मिलेगी, लेकिन कोटा के कोचिंग और हॉस्टल व्यवसाय पर इसका असर पड़ सकता है।
जहां प्रशासन का उद्देश्य छात्रों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करना है, वहीं कई हॉस्टल संचालकों को चिंता है कि सिक्योरिटी और कॉशन मनी खत्म होने से उनका वित्तीय मॉडल प्रभावित हो सकता है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि इस फैसले से कोटा में कोचिंग और हॉस्टल व्यवसाय पर क्या असर पड़ता है और छात्र किस हद तक इन बदलावों से लाभान्वित होते हैं।